Monday, 29 May 2017

रेणुका जी प्रस्थान

 बहुत   दिनो से सोच रहा था  कि आज लिखूंगा  अपनी यात्रा के बारे मे कल लिखूंगा और सोचते सोचते एक साल निकल गया इस साल के बीच मे काफी यात्राये की पहाडी इलाके की , मैदानी इलाके की    रेल यात्रा, बस यात्रा सबकी यादे बस दिल मे है कुछ धुधली सी कुछ तरोताजा बस इनमे से एक याद आपसे साझा कर रहा हूँ

मै यमुनानगर हरियाणा से हूँँ मेरा गाँव एन० एच० 907 (यमुनानगर से पावटा साहिब) 12 किमी दुर है वैसे तो सब घरवालो की तरह मेरे घरवाले भी मेरे घूमने को लेकर सुनाते रहते है पर मैने भी असूल बनाया है घूमक्कडी तो करनी ही है पर जब तक खुद के पैरो पे नी खडा हो जाता तब तक सिर्फ एक दिनी यात्रा करता हूँ बजट कम वाली घर पे बहाना लगाकर निकल जाता हूँ और शाम तक घर आ जाता हूँ पर फिर भी घर पर पता चल ही जाता है यात्रा को लेकर मै कोई रणनीति तो नही बनाता पर घरवालो से बहाना लगाने के लिए कुछ न कुछ रणनीति जरुर तैयार करनी पडती है     
 खैर इस बार माता रानी की कृपा हो गयी तो रणनीति बनाने की जरुरत न पडी नवरात्रे जो चल रहे थे घर बोला कुल दैवी के दर्शन को जाना है अब पुण्य के काम मे कौन ना करता बोले जाओ पर साथ मे दो सवारी और बढा दी । साहिल (मामा का लडका) और अनिकेत (ताऊ का लडका) छोटे है  मन तो नही है ले जाने का पर हाँ बोलनी पडी।। 
पीछे मैं बीच मे अनिकेत आगे साहिल

सुबह कुलदेवी का नाम लेकर घर से चल पडा पर रेणुका जी भी माता ही है तो क्या फर्क पडता है अखिरकार सब एक ही है सो चल दिये माता का नाम लेकर   । रेणुका जी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले मे है  रेणुका जी धाम की मेरे घर से दूरी 95 कि मी के आस पास है  6 बजे घर से निकल पडा साथ मे सहिल और अनिकेत तैयार मिले जाने को और इस यात्रा की जिम्मेवारी थी मेरी 1999 मॉडल हिरो होडॉ CD 100ss पर 
जिसके अगले शोकर का काम एक दिन पहले ही कराया था सो यात्रा सुखद होनी ही थी
   मुझे एन एच 907  पहुचने मे 20 मिनट ही लगे। एन एच पर आते ही बाईक 60 पर आराम से चल रही थी  रेणुका धाम जाने के कई रास्ते है पाँवटा - भारपुर से  होकर , या नाहन की और से होते हुए । पर  मेरे लिए पाँवटा - भारपुर सबसे उपयुक्त था सो मै पाँवटा की और बढ गये। रास्ते मे खिजराबाद से एक 1कि . मी. पहले बोर्ड लगा मिला
 चौ. देवी लाल हर्बल पार्क । यह पशिचमी यमुना नहर के किनारे बनाया गया है जो कि हथिनी कुंंड बैराज से निकाली गई है जी ,हाँ वही हथिनी कुंंड बैराज जहाँ से यमुना नदी मे थोडा भी ज्यादा पानी छोड दिया जाये तो न्यूज चैनलो पर हेड लाईन दिखने लगती है कि - यमुना का जल स्तर बढा दिल्ली मे बाढ का खतरा ,जब हथिनी कुंड बैराज मे यमुना का जल स्तर बढ जाता है तो नहरो मे जल आपूर्ति बंद करके सारा  पानी यमुना नदी मे छोड दिया जाता है जो आगे बाढ का रुप धारण कर लेता है 
खिदराबाद से आगे निकलकर हम पेट्रोल डलवाने के लिए पेट्रोल पंप पर रुके  मैने 200 ₹ दिए कि 200 का तेल डाल दे तो पट्ठे ने 2 लीटर डाल के मशीन रोक दी और उसका दुसरा साथी मेरे को बातो मे उलझाने सा लगा ।पट्ठा बोलता डल गया जी  मैने मीटर देख के बोला बकाया दो  बोलता बकाया कैसा सर मखा 200 का बकाया .तेल तो तूने दो लीटर ही पाया हडबडा के बोलता यार,   मुझे  2 के आगे 00 दिखा  तो लगा कि दो सौ का हो गया ये नी देखा कि मै लीटर वाला मीटर देख रहा हुँ तो तभी पट्ठे ने बकाया 58₹ की जगह 60 का तेल डाल दिया मैने भी सुबह सुबह अपना मुड खराब नी करना चाहता था सो निकल गया पर क्या पता दिन मे कितनो को इस तरह से बेवकूफ बनाते होगे
 यह सब चाल होती है इनकी टांका लगाने की। क्या पता जल्दबाजी मे कई लोग इनकी चाल मे फँस भी जाते होगे ।

खैर हम आगै बढ गये आगे हाईवे से  एक छोटी सडक  हथिनी कुंड बैराज को चली जाती है दूरी है 2 कि. मी. और यही से कलेसर नेशनल पार्क शुरु हो जाता है। एन एच पर आगे सडक के साथ श्री  कालेश्वर महादेव मठ है इसके बारे मे कहाँ जाता है कि पुरे विश्व मे इस तरह के कुल 12 मठ है। 
कुछ दूर आगे चलकर कलेसर वन्य जीव अभ्यारण्य है यहाँ जंगल मे लाल जंगली र्मुगा, लैर्पड हाथी आदि के साथ साथ  पक्षी प्रेमियो  के लिए अच्छी जगह है व विभाग की तरफ से जंगल सफारी का भी प्रंबध है। सडक नेशनल पार्क के बीचो-बीच वह   ज्यादातर सीधी बनी हुई है  नेशनल पार्क मे रोड किनारे बंदरो की भरमार है यातायात बहुत कम है पुरा नेशनल पार्क शिवालिक की पहाडियो मे है 
 रोड की उच्चतम ऊँचाई पर हरियाणा - हिमाचल प्रदेश का र्बाडर है ऊँचाई है 514 मीटर बाइक आसानी से पार कर गई और हिमाचल प्रदेश मे दाखिल हो गये । तराई आते ही बाइक बंद कर दी पर ऐसा करने से बाईक अनियत्रिंत हो सकती है समतल सडक पर पहुचते ही हिमाचल प्रदेश का टौल टैक्स है जहाँ पर बडे वाहनो से ही टैक्स लिया जाता है पुरे रास्ते के दाये तरफ कुछ दूरी पर यमुना बहती रहती है 
पाँवटा से 3 किमी. पहले बाईपास से हम एन एच 7 ( अंबाला- देहरादून- ऋषिकेश ) पे बाई तरफ मुड गये । दाए जाने वाली सडक  पाँवटा से होकर यमुना पार करते ही उत्तराखंड मे प्रवेश कर जाती है पाँवटा मे यमुना किनारे प्रसिद्ध  गुरुद्वारा भी है  एन एच 7 पर 13 किमी. की दूरी तय करके हम दायी और भारपुर गाँव की और मुड गये 3 किमी. से.आगे चढाई शुरु हो जाती है ऊँचाई 444 मी. से 1084 मी. व दूरी 12 कि मी सिंगल लाईन सडक वनी हुई है रास्ते मे इक्का दुक्का ही वाहन मिलते है पाँवटा से रेणुका जी तक बस सर्विस भी है।
 साहिल का पहाडो का पहला अनुभव था तो उसे ये पहाड भी काफी बडे लग रहे थे। और दूसरी तरफ की खाई को देखकर वो खबरा भी  रहा था  बीच मे बस एक - दो जगह फोटो लेने के लिए रुके। फिर भी 12 किमी. की चढाई मे 40 मिनट लग गये। 
हिमाचल के अन्य स्थानो की भांति यह स्थल पर्यटको के बीच  उतना पापुलर नही है पर खुबसूरती अन्य स्थलो की जैसी है पुरा रास्ता प्रकृतिक नजारो से भरा पडा है ऊँचे ऊँचे पहाड टेढी -मेढी सडके 
पता नही कौन सा गाँव.था नाम याद ना रहा है वहाँ से एक सडक सीधी नाहन की और चली जाती है । और  एक नीचे की और रेणुका जी की तरफ चला जाता है वहाँ एक साईन बोर्ड पर दूरी भी दिखाई गयी है- माता रेणुका जी -12 किमी. और बाईक तराई की और जाने बढ गई। 8 बज गये है धुप भी तेज हो गयी है और तराई वाली सडक काफी खस्ताहाल है बल्कि सडक की जगह रोडी  वाला कच्चा रास्ता है पर जो सडक नाहन से होकर  रेणुका जाती है वह काफी अच्छी बनी हुई है। बसे भी उसी रास्ते से होकर जाती है ऊपर से गिर नदी पर बना ल दिख रहा है
यह पुल इस सडक को ददाहू ( रेणुका ) से जोडता है 

ऊपर से दिखता जलाल ब्रिज

कच्ची सडक
भारपुर से आती सडक का ऊँचाई से दृश्य
यह पुल नया बना हुआ है शायद आने वाले समय मे यह सडक भी जल्द ही पक्की बन जावेगी और  इस रोड पर यातायात बढेगा जोकि अभी न के बराबर है।
 गडढो भरे रास्ते से बाईक 20-30 पर चल रही है तभी अचानक एक बडा सा गडढा आया और अगले टायर के पास से तेज अवाज आई ।बाईक रोक कर देखा तो पाया बाई तरफ का शौकर लीक हो गया है उससे तेल निकल रहा है दूसरी तरफ का शौकर ठीक है मैकनिक को 2-4 गलियाँ दी और चल पडे ।बाद मे 2 दिन बाद मैकनिक पे जाकर पता चला वो शौकर की लॉक पिन डालना भूल गया था जिससे शौकर सील ज्यादा दवाब न झेल पाई और बाहर निकल आई । शौकर की 3 महीने की गांरटी दी हुई थी सो फ्री मे ठीक हो गया।
 अब भी एक शौकर पर बाईक ठीक चल रही है पर शौकर के दबने के साथ उससे तेल निकल रहा है  गिरी नदी के पुल  पर पहुँच के पाया यह पुल गिरी नदी पर नही बल्कि उसकी सहायक.नदी पर है पुल का नाम भी है जलाल ब्रिज ।ब्रिज पार करके हम ददाहू मे प्रवेश कर गये यह एक छोटे शहर है शहर को पार करते ही गिरी नदी पर बने पुल पार करके एक सडक रेणुका होते हुए जमू की तरफ चली जाती है व दूसरी सडक संग्राह (sangrah) होते हुए हरिपुरधार व सोलन को जाती है 3 घण्टे मे 8:50 पर हम रेणुका जी पहूँच गये
पहली बार लिख रहा हूँ तो गलतियां और त्रुटियाँ होना लाज़िमी हैं  कृपया मार्गदशन करे।


गिरी नदी



 पहाडो का डाकू




सौदर्य

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6 comments:

  1. Bahut hi sundr!! Pics b achi h or Dholpur se nya rasta bhi pta lga amuman hum nahan se jate the,or ye kul Devi ka Nam lekr Renuka ji wala idea thoda shrart bhra tha hahaha..likhte rhiye ..ol th best !!!

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  2. Explore new places which are lesser known to people.🤗🤗

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