मेला कपालमोचन का यात्रा भम्रण
बहुत दिन से ये पोस्ट लिखी पङी थी और प्रकाशित करने का बिल्कुल भी मन नही था कारण भी कुछ नही था बार बार मन में आ रहा था कि भारत भर में बहुत सारे मेले आयोजित किये जाते हैं। और ये हजारों लाखों कि सख्या में लगते हैं। और तेरे इस लिखे हुए में कौन पढेगा ....????? अरे तेरी ये जोे अब तक पोस्ट प्रकाशित हूई हैं। सारी की सारी यही आस पास के स्थानो की ही तो हैं। और ऊपर से तेरी लिखावट में इतनी सारी अशुद्धियाँ ...... चल इतने सब तक भी सब ठीक है. .... सबसे बङी कमी तो मेरी खुद की ही हैं। मै खुद सबके साथ घुल मिल नही पाता .... संदीप पंवार भाई साहब नें एक वास्टऐप ग्रुप बनाया है। बहुत सें मित्रो का पता चला। एक से बढकर एक धुमक्कङ
...... संदीप भाई ,अजय भारतीय, विकास bhadauria ,अनिल दीक्षित, श्री हरि,घरतीपुत्र अक्षय , anuj rathi , अमित lavaniya, सभी के नाम लेना तो संभव नही है। पर बहुत नये मित्र बने... सब के बारे मे तो मैं नही जानता क्योंकि कुछ मेरे जैसे है। ग्रुप मे अपना परिचय देने के अलावा और कुछ नही लिखा । और मेरा भी कुछ को ही पता हो .. पर मैं बातचीत पर नजर बनायें रखता हूँ ग्रुप की ........खुद भी उस गपशप मे शामिल होना चाहता हूँ पर शायद सबका स्वभाव अलग अलग होता है मैं शुरुआत ही नही कर पाता .. शायद एक धुमक्कड बनने के लिए ये स्वभाव बदलना पडे.।नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच शायद यही किसी की हार जीत तय करती है। और ये मेरे विचार शायद मेरी डायरी में ही दब कर रह जाते पर ब्लॉग भी मेरी डायरी ही है। तो यहाँ क्यों ना लिख दू..... विषय से भटकना कभी कभी सही ही होता है। मित्रो से सही सलाह मिल जाती है और डगमगा रहा विश्वास भी वापिस मिल जाता है ...............खैर पोस्ट नीचे है।
भारत भर में बहुत सारे मेले आयोजित किये जाते हैं। सब मेलों का अपना अलग इतिहास और उपयोगिता होती हैं।आज मैं आपको ले चलता हूँ हरियाणा के प्रसिद्ध मेलों मे से एक -मेला कपालमोचन की यात्रा भम्रण पे---
मेला कार्तिक पूर्णिमा पर हरियाणा मे जिला प्रशासन यमुनानगर की और से बिलासपुर के पास कपालमोचन मे आयोजित किया जाता है मेले का इतिहास हिन्दू और सिंख धर्म के साथ जुडा हुआ है। लाखो की सख्या मे श्रद्धालु हरियाणा पंजाब और राजस्थान से पवित्र स्नान के लिए यहाँ पहुचते है। मैं भी बचपन से यहां जा रहा हूँ पर यहाँ स्नान कभी नही किया .... तो इस बार भी मैने जाना तय किया यात्रा के साथी थे मेरे गाँव के दोस्त दीपक और मनदीप .. ये मेला दिन-रात चालू रहता है। तो हमने शाम 6 बजे घर से चलना तय किया... तय किये समय के अनुसार हम घर से निकल पड़े |
मेले में दाखिल होने के कई रास्ते हैं आप यमुनानगर होते हुए हुए हुए बिलासपुर के रास्ते मेले में एंट्री कर सकते हैं क्योंकि मेरा गांव थोड़ा इधर को है इधर को मतलब कि यमुनानगर से बिलासपुर रोड पर नही है तो मैं मैंने अहडवाला गांव की ओर से एंट्री की..... 15 किलोमीटर के सफर को तय करने मे 30 मिनट लग गये। बाईक अहडवाला गांव में ही एक रिश्तेदार के यहां खड़ी कर दी और 7:00 बजे के करीब हम मेले में दाखिल हो गए अब बात करते कपालमोचन तीर्थ स्थल के बारे .... यहाँ मुख्यता तीन सरोवर है
गऊबछ्छा घाट
ऋण मोचन सरोवर
सूर्य कुंड...
गुरुद्वारा कपालमोचन साहिब
तीनों का अपना अलग अलग खास महत्व और इतिहास है ऋण मोचन में स्नान करने से जहां व्यक्ति अपने सभी ऋणों से मुक्ति पाता है
तो सूरजकुंड में अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति के लिए स्नान करते हैं
मेले में सबसे ज्यादा संख्या में सिख समुदाय के लोग शामिल होते हैं जो कि ज्यादातर पंजाब से आने वाले होते हैं हरियाणा और राजस्थान से आने वालो की अच्छी खासी भीड़ थी मेले की भीड़ का अंदाजा आपको बहुत दुर से लग जायेगा कि आगे मेले मे अच्छी खासी भीड़ मिलेगी कुछ दूर अकेले चलकर हम भी मेले की भीड़ में शामिल हो गये..हजारों लोग मेले मे शामिल होने के लिए जा रहे है और इतने ही लोग मेले से वापस आ रहे हैं हमें भी दूर से ही लाउडस्पीकरों की आवाज सुनने लगी आवाज इतनी भयंकर कि बंदा पागल हो जाए
हम मेले की तरफ जाने वाली मेन सड़क पर आगे बढ़ने लगे तो चलते चलते आपस में टक्कर हो जाती है पुरी धक्का मुक्की थी एक दूसरे से माफी मांगते हुए अपनी अपनी राहों पर चल देते...
सड़क के दाएँ तरफ गन्ने के कैश्रर पर गरम-गरम गुड बन रहा था और उसकी महक हमारा ध्यान खींच रही थी हम जज्बातों पर काबू रखते हुए और गुड की महक से ध्यान हटाते हुए हम मेले की ओर आगे बढ़ गए...... पर कब तक अपने जज्बातों पर काबू रखते................
सामने ही भंडारे चल रहे थे और एक सरदार जी बार बार चिल्लाकर बोल रहे थे कुछ ही देर में चाउमीन और टिक्की का भंडारा शुरू हो जाएगा अब हमने तय किया की इसको वापसी में लपेटेंगे इतना ये भंडारा चालू भी हो जायेगा।
यहां आस पास बहुत टैन्ट और पंडाल लग हुए थे सभी में धार्मिक पाठ या फिर गुरुबाणी पढ़ी जा रही थी। उनकी आवाजें हर तरफ गूंज रही थी 100 से 200 पंडाल ऐसे होंगे जहा धार्मिक पाठ या गुरुबाणी पढी जा रही थी पर सब की आवाज आपस में मिक्स हो रही थी इसके चलते एक कान मे किसी अलग पाठ के शब्द सुनते और दूसरे कान मे अलग.... क्या विडंबना है हम एक धर्म के होकर भी एक ही पाठ या गुरुबाणी को अलग अलग पढ रहे है कहीं उसका प्रथम पाठ पढा जा रहा है कही अतिंम ............कितना अच्छा होता अगर सभी एक पंडाल के नीचें बैठकर इस पाठ की मधुर स्वर सुनते......
हजारों की सख्या मे लोग पता नहीं किस जल्दबाजी में इधर से उधर और उधर से इधर चले जा रहे थे हम भी उसी भीड़ में शामिल होते हुए बिलासपुर रंजीतपुर सड़क मार्ग पर पहुंच गए। ये वही सडक है जो आगे चलकर सरस्वती उद्ग्म तक तक जाती हैैं। बिल्कुल खाली सी रहने वाली सडक पे आज खचाखच भीड थी जहाँ तक नजर जाती सिर्फ सर ही सर दिखते.....
समय रात 8 बजे के आसपास था पर जी इस मेले मे दिन रात नही होता हर समय दिन ही निकला रहता है। इसी बीच मे एक आवाज ने ध्यान खीचा....
यमुनानगर का मशहूर डमरु चूर्ण ... आइये इसे चखिए ... पंसद आये तो लीजिए..... और इसके ये फायदे है इसके वो फायदे है .... चलो जो भी फायदे हो ...फ्री मे कुछ चखने को मिल रहा है मैं क्यों छोडने लगा..... फ्री का तो हम बुखार भी नहीं छोडते.....
पुरे मेले मे इनके सारे स्टालो(10से12) पर मैंने चुर्ण चखा जिसका नतीजा अगले दिन भुगतना पडा... समझे ही गये होगें आप सब भी ....


मेले में तरह तरह की चीजों की दुकान लगी हुई थी यहाँ सब कुछ बिकता है घर के बर्तन से लेकर पहनने के कपडे तक,खिलोनों से लेकर औजार तक..... एक दुकान मे सिखो की पवित्र कडा ,कंघी और कृपान के साथ साथ डिजाइन वाले चाकू तलवारें बेसबॉल स्टिक और सब भी इसी तरह के सामान था लोगों की भीड इस दुकान पर डटीं हुई थी ज्यादातर मेरी उम्र के युवा थे और वो इन हथियारों को खरीदने के लिए पागल हुए जा रहे हैं ...
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सूरजकुंड |
बहुत से लोग सूरज कुंड में स्नान कर रहे थे सैकडों की भीड़ सूरजकुंड मंदिर मे दर्शन कर रही थी हमने दो चार फोटो निकाली और जल्दी से बाहर निकल गये मुख्य सड़क पर आ गये . ........
मुख्य सडक पर कुछ दूर चलकर दाये तरफ प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें यमुनानगर जिले के अलग-अलग विभागों की प्रदर्शनी लगी हुई थी सबसे पहले लकड़ी से बने सामान रखे हुए थे उसके बाद डेरी विभाग की उसके बाद पशुपालन विभाग और भीं जितने सरकारी विभाग होगें तकरीबन सभी विभागों ने अपने स्टॉल लगाए हुए थे प्रदर्शनी स्थल के बिल्कुल बीच में एक हरियाणवी गायको का प्रोग्राम चल रहा था हरियाणा राज्य परिवहन यमुनानगर की ओर से प्रदर्शनी लगी हुई थी जिससे मेरा भी लगाव है मैंने भी रोडवेज़ की वर्कशॉप में एक साल तक ट्रेनिंग की है सो पुरानी यादे ताजा हो जाती है ख़ैर आप भी जब मेले में जाए तो यह प्रदर्शनी देखना ना भूलें.............
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यमुनानगर बस स्टैङ की झाँकी |
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हरियाणवी गायको का प्रोग्राम |
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बड़े बड़े झूले... |
मौत का कुआँ
डांसिंग चेयर
बड़े बड़े झूले...
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डांसिंग चेयर |
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डांसिंग चेयर |
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जादूगर गोगा का शो |
अरे डरने वाली बात नी है फेर भी मन नई करता बचपन में सब चीज़े देखीं है और वैसे भी हमउम्र के लड़के लड़कियों को ताक रहे थे पुरानी फिल्मो में भी मेलों में सबसे ज्यादा प्यार होता था पर मेरी तो फटती है सच में फटती है नया कोई भी हो लड़का हो या लड़की मैं खुद को असहज सा महसूस करता हूँ कोई जानकार हो तो अलग बात हैं| पर अंजान से बात शुरु ही नहीं कर पाता बेसक कोई भी हो यही होता है खैर कहा से कहा चले गए हम मेले में घुम रहे थें पर मन ऐसे ही भटक जाता हैं आगे हम दूसरे सरोवर गऊ बछ्छा पर पहु़ंचे यहाँ एक बात देखीं जो अखबारों में पढी थी कि जिला प्रशासन ने मेले में चढ़ावे को गिनने के लिए सरकारी स्कूल टीचर्स की ड्यूटी लगायी है यहाँ मंदिर के बाहर एक टीचर जी बैठे थे चहेरे पर मायूसी थी शायद चढ़ाव कम हो रहा है हीहीहीहीही..........
या
फिर स्कूल की याद या रही होगी सरकार को तो जरूर कोस रहे होंगे पास में ही चाट वाला चिल्ला चिल्ला के चाट बेच रहा था मास्टर जी का घ्यान चाट वालें की तरफ ही था
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गऊबछ्छा घाट सरोवर |
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बंद पडा म्यूजियम |
अब हमे भी भुख लगने लगी थी और वो चाउमीन और टिक्की वाला भंडारा याद आने लगा था तभी याद आया आज तो दीपक का जन्मदिन है चल बेटे पार्टी दे
अपनी पार्टी में होता है ब्रेड पकोड़ा या बर्गर
एक दुकान पे वर्दी वाले पकोड़े बन रहे थे दे दनादन खींच दिए
वर्दी वाले पकोड़े मतलब आलू को छिले बिना पकोड़े बना देना मेले में यही मिलते है तो मैं इनको वर्दी वाले पकोड़े बोल देता हूँ मजा आ गया
घूम घूम के थकन होने लगी थी अभी भी गुरुद्वारे और ऋणमोचन सरोवर रह रहे थे पर गये नहीं
वापिस हो लिए जिधर बाइक खड़ी थी अब भूख तो नहीं लगे रही थी पर वो फ्री की चाउमीन और टिक्की भंडारा याद आ रहा था जाते हुए उसे भी लपेटा
पर इतना बुरा टेस्ट उल्टियां लगने को हो गयी और ले लो फ्री का भंडारा सालो फ्री के चक्कर में जो पकोड़े खाये थे वो भी बाहर आएंगे अब मुँह का टेस्ट बिगड़ गया...।.
धन्यवाद .... आपके कमेंट और सुझाव मेरे लिए अमूल्य है।
फिर मिलते है दोस्तों नयी पोस्ट के साथ
मैप
धन्यवाद अंकित भाई बहुत अच्छा लिखते हो आप एक मेले के दर्शन और करवा दिए
ReplyDeleteप्रणाम , राजेश सहरावत भाई जी
Deleteशानदार विवरण एक मेले के बारे में इतना विस्तार से लिखा कि हमें यह नहीं लगा कि हमको लेख पढ़ रहे हैं बिल्कुल ऐसा महसूस कियि जैसे लेकिन खुद घूम रहे हैं बिल्कुल हंसी के पल और एक चीज आखिरी तक ढूंढता रहा
ReplyDeleteशुरू में आपने बताया था कि वह टिक्की वाला तो मैं आखिरी तक ढूंढता रहा कि टिक्की खा कर आए कि नहीं आए शुक्र आखरी में आपने टिक्की खाई लिखते रहिए आगे बढ़ते रहे।
धन्यवाद संदीप भाई साहब
Deleteआपके प्यार और स्नेह के लिए
यात्राओं के लेख तो बहुत पढ़े थे पहली बार मेला का लेख पड़ कर मजा आ गया, शहर में रहने वालोंकी तुलना में ग्रामीण भाग में रहनेवाले लोकोंकेलिये मेला खास महत्व रखता है,
ReplyDeleteहमारे गांव में 31जनेवरी से मेला लगेगा जो शिवरात्रि तक चलेगा,
यात्राओ के बहुत लेख पड़े लेकिन पहली बार मेले का लेख पड़ने में मजा आ गया,
ReplyDeleteबदिया विवरण
शुक्रिया वसंत पाटिल भाई जी
DeleteBahut hu damdar post ! Adhbhut!!!
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteशानदार यात्र विवरण फोटो सहित
ReplyDeleteशुक्रिया देव रावत जी
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